गुरुवार, 11 मार्च 2021

स्वं को कर दु अर्पित, ऐसी सुर-ताज दिखते हो।



स्वं को कर दु अर्पित, 
ऐसी सुर-ताज दिखते हो।
मीरा ने जिस धुन को बिखेड़ा,
वही अनुराग दिखते हो।

तुम्हारी उपमा मै चाँद से नहीं कर सकता,
क्योंकि उसमे दाग हैं।
मेरी नजर से तुम तो,
बेदाग़ दिखते हो।

-विश्वजीत कुमार     
 

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