19 जनवरी 2025 की सुबह 09 बजकर 05 मिनट पर व्हाट्सएप की घंटी बजी, जब मोबाईल देखा तो पता चला की शादी का निमंत्रण कार्ड आया हैं। वो निमंत्रण हमारे प्रशिक्षु (स्टूडेंट) का था। उसने निमंत्रण कार्ड के साथ लिखा था आपकी उपस्थिति अति आवश्यक है। इस अति आवश्यक को हम समझ नहीं पा रहे थे। जब उससे फोन पर वार्तालाप हुई तो मालूम चला कि किसी क्लास के दरम्यान मैंने कभी उससे कहा था कि आपकी शादी में हम आएंगे। संभवतः चर्चा मुंगेर पर चल रही थी और वह भी मुंगेर का ही था, तब उन्होंने कहा था कि सर, आप मुंगेर आइयेगा कभी!!! ...और शायद यह उचित समय था मुंगेर जाने का, लेकिन उचित रहा नहीं।
आप सभी सोच रहे होंगे - क्यों ?
अब इस क्यों का जवाब पाने के लिए तो आपको पूरा आर्टिकल पढ़ना होगा तो चलिए शुरू करते हैं...
19 का मूलांक 01 और उसके स्वामी सूर्य☀️, मेरा भी मूलांक एक ही होता है तो पहली बार में ही जाने का प्लान बन गया और दुसरा समय यानी 09 बजकर 05 मिनट तो इसका मूलांक हुआ 05. वो ऐसे की 09+05 = 14, and 1+4 = 5. जो कि मेरा लकी नंबर है और जैसे मूलांक 05 वाले लोगो को यात्रा करना, नई चीजें सीखना और दूसरों की मदद करना पसंद होता हैं, ऐसा ही कुछ गुण मेरे अंदर भी समाहित है। चुंकि मुंगेर हम पहली बार जा रहे थे इसलिए अपने महाविद्यालय से एक सप्ताह की छुट्टी ले लिए और उसे बता दिए कि हम आपकी शादी के बाद मुंगेर को एक्सप्लोर करेंगे और वापस रविवार को आएंगे। आने एवं जाने का टिकट भी उसे व्हाट्सएप पर शेयर कर दिये ताकि उसे पता रहे कि हम कंफर्म आ रहे हैं।
पटना से हमारी ट्रेन 13402, भागलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस थी। उसने मुझे बताया कि मुंगेर में ट्रेन नहीं जाती है हमें जमालपुर में उतर करके आना होगा। ट्रेन अच्छी थी वह मुझे रात्री में 09:00 बजे तक जमालपुर स्टेशन पहुंचा दी थी। जमालपुर एक छोटा सा स्टेशन है तो बाहर ज्यादा भीड़-भाड़ एवं चहल पहल नहीं था। जमालपुर से मुंगेर के लिए हमें आसानी से ऑटो मिल गया। ट्रेन से उतरने के बाद हम अपने उस प्रशिक्षु को लगातार फोन कियें जा रहे थे लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। संभवतः शादी के विधि-विधान में व्यस्त होगा। जमालपुर से मुंगेर के लिए ऑटो रात्री के 09:30 में भी आसानी से मिल गई। 10:00 बजे तक हम मुंगेर में थे। मुंगेर पहुंचने के बाद भी उससे बात नहीं हो पाई जबकि 01 घंटे से उसको हम कॉल किये जा रहे थे। हम सोच रहे थे कि जब हम उसको अपनी पूरी यात्रा विवरणी यहां तक की आने एवं जाने का ट्रेन का टिकट भी भेज दिए हैं तो आदमी को इतना तो sincere होना चाहिए। खैर!!! मेरे पास जब कोई ऑप्शन नहीं बचा तो शादी के कार्ड पर लिखें पते पर पहुंचने का प्रयास किये। उस समय तक रात के 10:30 हो चुके थे और लगभग सारी सड़के सुनसान हो गई थी। मुंगेर को सिटी ऑफ़ गन🔫 भी कहा जाता हैं, आज पहली बार अनुभव कर रहे थे। वह तो भला हो गूगल मैप का वरना वहां तो कोई पता बताने वाला भी नहीं था। मुंगेर से उसके घर की दूरी लगभग ढाई से 03 किलोमीटर रही होगी। दोनों तरफ वीरान खेत, कही-कही एकाध घर वह भी अंधेरे में डूबे हुए। बीच सड़क पर हम इकलौते चल रहे थे। मेरे पास एक बड़ा सा गिफ्ट🎁, एक बैग जिसमें मिरर लेस कैमरा, लैपटॉप, कुछ कपड़े, एवं कुछ कैश भी थे जो किसी भी व्यकित के अंदर डर को पैदा कर सकता है, जब आप ऐसे सड़कों से रात में गुजरो। चुंकि रात का समय था इसलिए हमारे कदम थोड़े तेज चल रहे थे। 03 किलोमीटर की दूरी को कम करने के लिए मैंने ब्लूटूथ से मोबाइल को कनेक्ट कर गाना बजा लिया था।
गाने के धुन थे,
जिंदगी एक सफर है सुहाना,
यहां कल क्या हो किसने जाना ?
कल का तो नहीं पता लेकिन उस समय मेरे साथ क्या होगा यह भी मुझे नहीं मालूम था। हम गाना सुनते हुये चले जा रहे थे तभी मुझे एहसास हुआ की मेरे पीछे से कोई बाइक आ रही है जो की मुंगेर से चली आ रही थी। मै बीच सड़क से किनारे हो गया, वो भी ठीक मेरे पास यानी बगल में रुके। उस बाइक पर दो लोग सवार थे। मै भी निडर हो कर के उन्हें देखा वो कुछ बोलते उससे पहले मैंने ही पूछा - भाई मुझे आगे उस गाँव तक छोड़ दोगे ? वहां हम अपने एक स्टूडेंट की शादी में जा रहे है। दोनों एक साथ बोले - कहां से आये हो ?
मैंने कहां - पटना से।
उनमे से एक ने पूछा - आपने उस छात्र को कॉल नही किया ?
मैंने कुछ जवाब नही दिया बस अपने मोबाईल का स्क्रीन दिखा दिया, 30+ कॉल थे वो भी एकाध घंटे में।
फिर एक ने पूछा - कौन से गाँव जाना है ?
मैंने शादी के कार्ड में लिखें गाँव का नाम दिखाया।
वो बोले की हम तो उस तरफ नहीं जा रहे हैं लेकिन आप को कुछ दुर तक छोड़ देंगे।
उस अनजान जगह में दो अजनबी मेरी मदद को तैयार थे लेकिन अभी तक उसने मेरा कॉल रिसीव नहीं किया था और ना ही कॉल बैक। खैर!!! हम कुछ देर में उसके शादी के हॉल में थे। मुंगेर से 03 किलोमीटर दूर होने के बाद भी हॉल अच्छा था, डेकोरेशन भी बहुत अच्छे से किया गया था जगह-जगह पर लड़का एवं लड़की की फोटो लगाई गई थी। वहां की खूबसूरती देखकर अपनी हम सारी थकावट को भूल गए। मालूम चला की बारात अभी तक नहीं आई है उस समय रात के 11:00 बज चुके थे, यह भी बात पता चली की बरात एक किलोमीटर से ही आ रही हैं। मुख्य प्रवेश द्वार के पास बहुत ही खूबसूरत गणपति जी की प्रतिमा स्थापित की गई थी उसी के बगल में एक सज्जन से व्यक्ति बैठे हुए थे जो आने वाले सभी मेहमानों के नाम लिख रहे थे और उन सभी के द्वारा क्या-क्या गिफ्ट लाया गया है उसका भी ब्यौरा दर्ज कर रहे थे। मैंने भी अपना गिफ्ट🎁 उन्हें दिया और नाम लिखवाया - विश्वजीत कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर निफ़्ट पटना। जैसे उन्होंने पटना सुना तुरंत पूछा - आप (दूल्हे का नाम लेते हुए) उसके मित्र है क्या ? आप ही के साथ ना वो पटना में बिजनेस शुरू किया था...
वह आगे कुछ बोलते हैं उसे पूर्व ही हमने कहा - नहीं, नहीं वह हमारे छात्र हैं, हम ना उनको बरबीघा साईं कॉलेज में पढ़ाए हैं।
उन्होंने हल्की सांस लेते हुए कहा - अच्छा!!! अच्छा!!!
उनका अगला प्रश्न मुझे बहुत अजीब लगा क्योंकि उसने पूछा था - वापस कब जाना है ?
मैंने कहा - रविवार को, तीन-चार दिन मुंगेर में ही रुकना है।
उन्होंने फिर पूछा - रुके कहां है ?
मैंने कहा - अभी तो बस ट्रेन से उतर कर के आप ही के पास आ रहे हैं...
मैं और कुछ बोलता है इससे पूर्व अंकल जी वहां से जा चुके थे।
मैंने गणपति जी के पास अपना बैग रखा और वहां की खूबसूरती को अपने कैमरे में उतारने लगा। लोग वहां आ रहे थे गिफ्ट🎁 दे रहे थे और खाना खाकर जा रहे थे। क्योंकि मुझे वहां कोई जानता नहीं था तो बस यूं ही आसपास के दृश्यों को अपने कैमरे में उतारने लगे। तभी एक व्यक्ति आया और बोला कि आप किसके तरफ के कैमरा 📷 वाले हैं लड़की वाले या लड़का वाले।
मैंने पूछा - काम क्या है ?
उन्होंने कहा - कुछ फोटो खिंचवानी थी।
मैंने कहा - खिंचवा लो, दिक्कत क्या है।
फिर उन्होंने अपने सभी दोस्तों को बुलाया और स्टेज पर जहां पर जयमाला होने वाला था बैठकर कई सारी तस्वीरें खींचवाई।
उन सभी में एक चेहरा मुझे जाना पहचाना सा लगा। मैंने उससे बोला कि आप (लड़के का नाम लेकर) उसके भाई हो क्या ?
उसने कहा - जी
फिर मैंने अपना परिचय दिया और कहा कि शायद आपको याद हो मैंने आपसे 2021 और 22 में अपना ITR Fill करवाया था।
उसने कहा - हां, हां याद आया फिर बोला कि आप यहां तक कैसे आए फोन कर लेते।
मैंने कहा - बस आ गए, तुम्हारा नंबर मेरे पास नहीं था और तुम्हारे भैया को कई बार फोन किये वो जवाब ही नहीं दे रहे। फिर मैंने बात को घुमाते हुए पूछा की बारात कब आएगी ?
वह बोला - सभी लोग घर से चल दिए हैं, 05-10 मिनट में पहुंच जाएंगे। इतना बोलकर वह वहां से चला गया। मैंने कैमरा को बैग में रखा और दो-चार तस्वीरें उसके व्हाट्सएप पर (जिसकी शादी में हम गए थे) भेज दिए। मुझे बहुत आश्चर्य लगा की फोटो भेजने के साथ ही 02 मिनट के अंदर ही फोटो Seen हो गया और उसका रिप्लाई आया।
Sir
कुछ pic or send kr dijiye
मैंने उसकी आज्ञा मानते हुए और भी कई सारी तस्वीर भेजी। उस समय तक लगभग लोग खाना खाकर जा चुके थे, 12:00 बजने वाला था, हम पटना से शाम में ही चले थे तो भूख भी लग रही थी। जैसे ही प्लेट में हल्का खाना लेकर, खाना शुरू किये तब तक बारात आ गई। फटाफट खाना कंप्लीट करके स्टेज के पास पहुंचे। वह दूल्हे की ड्रेस में बहुत ही प्यारा👌🏻 लग रहा था। मैंने उसे शादी की बधाई💐 दी एवं साथ में दो-चार फोटो खिंचवाई। एक शिक्षक होने के नाते मेरा इतना तो हक बनता था कि उससे प्रश्न पूछ सकते थे। मैंने उससे पूछा कि फोन क्यों नहीं उठा रहा था ?
उसने सिंपल सा जवाब दिया कि सर फोन साइलेंट में था, फिर आगे बोला कि आप व्हाट्सएप्प कॉल कर लेते।
मैंने मन ही मन सोचा कि फोन तो तुम उठा नहीं रहा था व्हाट्सएप कॉल क्या उठाता ? फिर मैंने उससे बोला कि आप व्हाट्सएप पर रिप्लाई तो बराबर दे रहे थे, बस हमारा मिस कॉल नहीं देख पाए।
वह इधर-उधर के वातावरण को देखते हुये बोला - सर हम लोगो की इच्छा थी की शादी मुंगेर में हो लेकिन लड़की वाले नहीं माने इसीलिए यहां पर करना पड़ रहा है। और इसीलिए किसी को नहीं बुलायें क्योंकि यहां आने में सभी को परेशानी होती।
मैंने बोला यह जगह भी तो अच्छी ही है, हॉल भी बहुत बढ़िया है केवल रास्ते में थोड़ा दिक्कत है।
उसने बोला की - हां रास्ते में थोड़ा बहुत लूटपाट की घटनाएं भी होती है, इसलिए आप देख रहे होंगे बहुत कम लोग आए हैं। तभी अचानक से उसे ध्यान आया और बोला कि आप कैसे आएं ?
मैंने कहा - बस आ गए, एक सुझाव भी उसको दिये की किसी को बुलाओ तो कम से कम फोन उठा लिया करो।
वह कुछ नहीं बोला हम स्टेज से उतर करके सामने कुर्सी पर बैठ गए। जयमाला का कार्यक्रम लगभग रात्री 01:00 बजे तक समाप्त हो गया। जयमाला के बाद वह कहीं चला गया संभवत: अपने रूम में। उस हॉल में केवल तीन लोग थे। एक मैं, एक वीडियोग्राफर और एक फोटोग्राफर। मैंने उस फोटोग्राफर से पूछा कि अब आगे का क्या कार्यक्रम है ? फोटोग्राफर जम्हाई लेते हुए बोला कि अब आगे का क्या, आराम कीजिए। सभी लोग नाश्ता, खाना खाएंगे जो बारात के साथ आए हैं फिर शादी के लिए इसी मंडप में आएंगे। और वह दो कुर्सी को जोड़ करके बैग को किनारे रखा और सो गया। मुझे अपने पुराने फोटोग्राफी के दिन याद आ गए। कई बार नई जगह पर, जब कभी थोड़ा समय मिले सो जाते थे। मैंने उसे जगाया और पूछा कि भाई यहां आस-पास कोई होटल मिलेगा ? बोला कि यहां तो नहीं लेकिन मुंगेर में मिल जाएगा। फिर अपने आप बोला की बाइक से जाना इतनी रात को सही नहीं रहेगा। मैंने उससे कहा कि मेरे पास बाइक नहीं है और अपना बैग लेकर वहां से निकल गए। वहां से निकलने से पूर्व कई बार पुन: कॉल किया इस बार मैंने व्हाट्सएप्प कॉल भी किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया। हमने सोचा कि जैसे आए थे वैसे चले जाएंगे लेकिन वैसा हुआ नहीं। कुछ दूर ही आगे बढ़े थे की तभी पुलिस की एक गाड़ी हमारे पास आकर रुकी। पुलिस ने अपनी ही आवाज में पूछा - ऐ कहां जा रहा है ?
मैंने उन लोगों को सारी बातें बता दी एवं कहां की यहां हम एक शादी में आए थे और वापस मुंगेर जा रहे हैं। पुलिस वालो को मेरी सच्चाई पर यकीन नहीं हुआ उन्होंने एकदम से डांटते हुए बोला - रात को 01:30 बजे तुम शादी से आ रहा है। अब उन्हें हम क्या समझाते की हम बिल्कुल सही बोल रहे हैं। उन्हें समझाने से बेहतर यह लगा कि उन्हें अपना परिचय दे। सबसे पहले मैंने अपने कॉलेज का आई-कार्ड (I-Card) उन्हें दिखाया और बोले हम नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ़्ट) में प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने जब भारत सरकार का राष्ट्रीय प्रतिक चिन्ह देखा, तुरंत उनकी भाषा ही बदल गई अभी तलक जो तल्ख़ियाँ (Bitterness) थी वो सिफारिशे में बदल गई। उन्होंने कहा - सर हम आपको कहां तक छोड़ दें, आपकी ट्रेन कितने बजे है। मैंने उन्हें कहां - हमारी ट्रेन तो तीन दिन बाद है, फिलहाल आप मुझे किसी होटल के पास छोड़ दीजिए ताकि तीन दिन हम वहां रह सके। उन्होंने मुझे स्टेशन के पास एक होटल में रुकवां दिया। ऐसे जब हम उनके साथ आ रहे थे तो उन्होंने पूछा - सर, आप यहां किसकी शादी में आये थे। मैंने कहां - अपने एक छात्र की शादी में।
"इसके बात के वार्तालाप को हम यहां नहीं लिख रहे हैं, पाठकगण स्वयं से अनुमान लगाएं की हमारे बीच क्या वार्तालाप हुई होगी।"
होटल लेकर शिफ्ट होते-होते रात के 03:00 बज गए थे, सुबह 05:00 बजे का अलार्म सेट किये और सोये। सुबह उठने के साथ ही फ्रेश हो कर के होटल से निकले। मुंगेर के ही एक और प्रक्षिक्षु (इसके और जिसकी शादी में गए थे उसके बीच कॉलेज टाइम में दोनों के बीच बहुत अच्छी बॉन्डिंग थी लेकिन वर्तमान में तल्ख़ियां बढ़ गई थी, इस वजह से उसने उसे शादी में नहीं बुलाया था) से मैंने 02 दिन पूर्व ही बात करके एवं मुंगेर में हम कहां-कहां घूम सकते हैं उसकी पूरी प्लानिंग बना ली थी, उन्होंने बकायदा टाइपिंग करके मुझे व्हाट्सअप पर भेजा था, जो की निम्न हैं -👇🏻
Hostel - raj place / raj hans
Khana khane ke liye
-Vaisali hotel
Chat - model school ke samne
Chhole bhature - raj place ke samne
Ghumne bala jagh
Sbse phle nahane ke liye jana hai morning
1) kastharni ghat
2) chandika asthand
3) bari durga mahrani sadipur
4) company gadan
5) machhli talab
6) sita khund
8)krishan vatika
9)sojhi ghat
10) Oxford library (konrak mor ke pas
Jamalpur me mithayi khana hai
1) jai bangla me
Jamalpur me
1)Kali pahar
2) Jamalpur rel karkhana
3)rishi khud (Jamalpur se subh jakar wanha naha skte hai. Locel train chalti)
होटल की व्यवस्था तो हो चुकी थी अब घूमना था, उपरोक्त सारणी के अनुसार मुझे सबसे पहले कष्टहरनी घाट पर नहाना था, हम भी सोच रहे थे की चलो जो भी मुंगेर में कष्ट हुआ वो कष्टहरनी में नहाने से दूर हो जाएगा। कष्टहरिणी में नहाने के उपरांत सबसे पहले मुंगेर का किला एवं उसके आसपास कई जगहो का भ्रमण किये। जिस प्लेस का नाम उपरोक्त लिस्ट में था उसके अलावा भी बहुत सारी जगह का हम दिनभर भ्रमण करते रहे। रात में 10:00 बजे तक होटल पहुंचे। मुंगेर घूमने की कुछ तस्वीरें मैंने सोशल मीडिया पर डाली।
पूरे 24 घंटे के बाद उसने मेरे स्टेटस पर रात के 11:23 में कमेंट किया जो कि हम सुबह में 05:10 में देखें और रिप्लाई दिया।
मुंगेर में तीन-चार दिन मेरे लिये बहुत ही यादगार रहा, इस दरमियान कभी मेरी उससे बात नहीं हुई ना हीं मैंने कॉल किया और ना ही उसने। पटना पहुंचने के बाद मैंने उसकी सारी फोटोग्राफी जो की जयमाला के दरमियान खींची थी उसे भेज दी और साथ में यह लिखा भी...
..........की यात्रा मेरे लिए बहुत यादगार रही,.. I will never forget this trip in my entire life.
पटना में एक प्रोफेसर है डॉक्टर राजीव कुमार उनकी शादी भी मुंगेर में ही हुई है, एक दिन बातचीत में यूं ही मुंगेर का जिक्र आ गया। जब मैंने उपरोक्त कहानी उन्हें बताई तो उन्होंने कहा - सर आप मुंगेर पहली बार गए थे क्या ?
मैंने कहा - हां और शायद दूसरी बार जाने से पहले सोचूंगा।🤔
तब उन्होंने कहा - मुंगेर में ऐसा ही होता है, कुछ नया नहीं है। अरे!!! वहां आप किसी के यहां जाइयेगा तो सबसे पहले यही पूछते हैं कि जाना कब है ?
मैंने कहा - यह सब बातें तो मुझे नहीं मालूम थी लेकिन मुंगेर का अनुभव बहुत अच्छा रहा। फिर मुंगेर में मैंने जहां-जहां, जो-जो चीजे देखी थी उसके बारे में उनसे देर तक परिचर्चा चलती रही।
विश्वजीत कुमार✍🏻