जब सभी दोस्त तो फिर हम कौन?
कला एवं शिल्प महाविद्यालय का वेलकम पार्टी यानी कि सीनियर छात्रों के द्वारा जूनियर छात्रों का स्वागत💐। यह स्वागत कम रैंगिग🥴 का पहला अध्याय होता है जो की जूनियर छात्रों को बहुत बात में पता चलता है की जो लाल गुलाब🌹 उन्हें दिया गया था वह सच में कितना खतरनाक है। उस दिन आकाश (बदला हुआ नाम) बहुत खुश था क्योंकि पहली बार उसे इतना मान-सम्मान मिल रहा था। माथे पर तिलक लगाती सीनियर छात्राएं, मुस्कुरा कर गुलाब देते हुये भी सीनियर छात्राएं। आकाश के मन में कई हिल्लोरे उत्पन्न होने लगा, वह सोचने लगा की जब कॉलेज का पहला दिन ऐसा है तो आगे कैसा होगा? वह अपनी आगे की कहानी को सोचकर प्रफुलित होने लगा। ...था तो आकाश पटना सिटी का ही लेकिन उसे ये लगता था की असली पटना तो यह हैं जहां वो नामांकन लिया हैं। ऐसे बचपन से लेकर +2 तक उसने बस, घर से स्कूल और स्कूल से घर का ही दौड़ा किया था। घर पर भी उसे एक छोटे से कमरे में रहने की आदत थी। बिहार से बाहर तो छोड़ दीजिये, अभी तक उसने इस पटना को भी अच्छे से नहीं देखा था। हमेशा अपने उस खोये हुये पटना के ख्यालों में खोया रहता। आज उसे इस पटना का दीदार कर मन में एक अलग ही ख़्याल चल रहे थे तभी मुख्य मंच से एक खूबसूरत सी आवाज़ उसके कानों में टकराई।
Hi, I'm Ayushi (बदला हुआ नाम)
आकाश का तो मानो दिल💓 उस कार्यक्रम में ही नहीं रहा, वहां से निकल आर्ट कॉलेज के प्रांगण में बने बुद्धा गार्डन में बैठ आयुषी का इंतज़ार करने लगा लेकिन अफ़सोस आयुषी जब तक वहां आती तब तक आकाश का नाम मुख्य मंच से बुलाया गया। वह अपने ख्यालों की दुनियां से निकल जब मंच की ओर बढ़ रहा था तब तक आयुषी मंच से उतर रही थी उसने मुस्कुराते 😊 हुये वो लाल गुलाब आकाश की ओर बढ़ाया और आकाश ने बिना देरी किए उस लाल गुलाब🌹 को ले अपने सीने से लगा लिया मानो वह सुनने का प्रयास कर रहा हो कि आयुषी ने क्या कुछ कहा है। आकाश को अपना परिचय देने में बहुत ज्यादा रुचि नहीं थी क्योंकि उसकी निगाहें तो बस अब आयुषी को देख रही थी, आयुषी की इच्छा थी की आकाश अपना परिचय बहुत अच्छे से दें। लेकिन आकाश इसके लिए तैयार नही था। यह पहली नजर का प्यार था जो अब नजरों से ही उन दोनो की बातें भी होने लगी।
आयुषी - क्या नाम है तुम्हारा ?
आकाश - जी, जी, आकाश।
आयुषी - कहां से आए हो आकाश जी ?
आकाश - जी, पटना सिटी से।
आयुषी - आर्ट कॉलेज काहे आए हो ?
आकाश कुछ बोलता है उससे पूर्व उसे कुछ आवाजे सुनाई दी।
ऐसे हमेशा से ही दो प्यार करने वालों के बीच में दुनिया ने दीवार बनने की कोशिश की है उस दिन भी कुछ वही हुआ। कुछ सीनियर छात्रों की आवाज आकाश के कानो में सुनाई दी। आकाश ये क्या चीज कर रहे हो अच्छे से अपना परिचय दो। अचानक से आकाश की निंद्रा टूटी तो देखा कि आयुषी की नयने तो किसी और से दो-चार हो रही है फिर भी उसके द्वारा दी गई गुलाब उसके हाथों में थी। आकाश ने भारी मन से अपना परिचय दिया, उसे सीनियर के द्वारा यह नसीहत दी गई की खाने पीने पर ध्यान दिया करें ताकि कम से कम अपना परिचय अच्छे से दे सके।
पटना सिटी से पटना आए आकाश के लिए रोज समय पर कॉलेज आने एवं जाने की वजह आयुषी मिल गई थी। हमेशा से विलम्ब से उठने वाला आकाश अब समय से उठने लगा था। सुबह का नाश्ता वह करें या ना करें लेकिन 09:00 बजे वाली ट्रेन उसने कभी नहीं छोड़ी। अजंता की गुफाओं में कितनी चैत्य एवं कितनी विहार है और किस गुफा में कौन सी पेंटिंग बनी है वह उसे एक साल में याद नहीं हुआ लेकिन किस दिन आयुषी ने उसे कितनी बार देखा और कितनी बार स्माइल😊 किया उसकी गणना उसने कभी नहीं भूली। जब आयुषी के नयन किसी और से भी दो-चार होने लगते तो आकाश को यह बहुत बुरा लगता। एक दिन वह आयुषी से पूछ ही लिया कि तुम सबसे क्यों बात करती हो ? जब हम तुम्हारे लिए हैं तो औरों की क्या जरूरत है ?
आयुषी ने भी थोड़ा झूझलाते हुए कहां - अरे यार!!!, It's All are my Friend.
आकाश की इच्छा हुई कि पूछे कि तब हम क्या हैं ? Friend, Best Friend या फिर B.F. लेकिन उसने पूछा नहीं। दिन गुजरते गए, राते कटती रही। आयुषी का तो पता नहीं लेकिन आकाश ने हमेशा कुमार विश्वास की इन पंक्तियों से स्वयं को संभाले रखा लेकिन कभी आयुषी को बताया नहीं।
फिर कॉलेज में आया वह दिन जिसे शायद सभी इंतजार करते हैं विशेष करके आकाश इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था इत्तेफाक से उस दिन सरस्वती पूजा भी था हर कोई पीले रंगों के परिधानो में चमक रहा था। आकाश ने उस दिन के लिए विशेष कुर्ता तैयार करवाया था। जैसे ही वह सुबह-सुबह महाविद्यालय के प्रांगण में प्रवेश किया सामने से उसे आयुषी आती दिखाई दी। पीले रंग के परिधान में पीले रंग की चुनरी लिए वह उसके सामने से गुजरी। आकाश के मन में यह गीत चलने लगे।
"ओढ़नी के रंग पियर जादू चला रहल बाs
लागे की जैसे खेतवा में सरसो फूला रहल बाs"
आकाश को ऐसे भोजपुरी नहीं आती थी लेकिन उसके कुछ सिवान गोपालगंज के दोस्तों ने थोड़ी-बहुत भोजपुरी सीखा दी थी। आयुषी तो वहां से चली गई थी लेकिन आकाश के मन में अभी भी उसके पीले रंग के चुनरी का ख्वाब जमा हुआ था तभी कुछ अंतराल पर दो लड़कियां उसके पास आई उन्होंने भी पीले ही रंग का ड्रेस पहनी हुई थी और हाथ में लाल गुलाब🌹 लेकर आई थी, लेकिन वह पीला ड्रेस और लाल गुलाब आकाश को प्रोत्साहित न कर सका और फिर वह आयुषी की तरफ बढ़ चला। उस दिन आकाश को यकीन नहीं हुआ कि आयुषी ने उसके पास आकर के उसे लाल गुलाब दिया और गले मिलते ही उसके कानों में धीरे से कहा हैप्पी वैलेंटाइन डे🥰। आकाश को तो मानो सारा जहां मिल गया उसके पूरे एक साल की मेहनत सफल हो गई। अब वह आराम से रेशमी मैम को कह सकता है कि मैंम!!! अब मैं ना आप के विषय का सारा थ्योरी याद कर लूंगा, और यह भी याद करूंगा कि अजंता की 30 गुफाओं में कौन-कौन सी पेंटिंग बनी है, एलोरा की गुफाओ में कितनी ब्राह्मण, कितनी बौद्ध और कितने जैन गुफाएं हैं, अब हम कभी नहीं भूलेंगे क्योंकि आयुषी ने आज मुझे गले लगाया और हैप्पी वैलेंटाइन डे भी बोला। उसके बाद आकाश उन दोनों लड़कियों के पास गया जो उसे पहले गुलाब देने आई थी उन दोनों का भी लाल गुलाब उसने सहजता से स्वीकार किया और फिर उस दोनों गुलाब को अपने दो सीनियर्स को दे दिया। इसे आप आकाश की मूर्खता कहे या फिर अति उत्साह यह तो वही बता सकता है लेकिन उस दिन पूरे कॉलेज परिसर में यह बात फैल गई की आयुष ने दो सीनियर को प्रपोज किया है।
...इसके बाद क्या हुआ होगा यह बताने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि किसी भी महाविद्यालय के संविधान में जूनियर के द्वारा सीनियर्स को प्रपोज करना यह नहीं लिखा गया है वह अलग बात है कि बहुत से लोगों ने इस संविधान को तोड़कर अपना मुकाम बनाया है लेकिन आकाश के लिए यह मुमकिन नहीं था और ना हीं उसकी ऐसी कोई मंशा थी। आयुषी को तो बस एक हंसने का बहाना मिल गया था वह बार-बार आकाश को इस बात के लिए चिढ़ाते रहती थी की वह दो गुलाब सीनियर्स को क्यों दिया। आकाश पूरे कॉलेज के साथ-साथ आयुषी के लिए भी हंसी का पात्र बन गया था। धीरे-धीरे उसने सभी से बातें करनी छोड़ दी और फिर से अपने अकेलेपन में खोता चला गया। फिर से वह कॉलेज बस आयुषी की हंसी एवं उसकी नजरों की मुस्कुराहट को देखने के लिए आता। धीरे-धीरे उसने महसूस किया कि आयुषी की नजरे केवल उसे ही नहीं बल्कि क्लास में दो-चार लड़के को और भी देखती है तभी तो पूरे क्लास में उसकी नज़रें घूमती रहती है। एक दिन उसने आयुषी से फिर पूछा कि तुम मेरे अलावा बाकीयों को क्यों देखती हो ?
आयुषी का फिर वही जवाब आया - अरे यार!!! आकाश, Just chill It's All are my Friend.
आज आकाश ने हिम्मत करके उससे पूछ लिया - जब सभी दोस्त तो फिर हम कौन ?
आयुषी ने भी तुरंत उसी लहज़े में जवाब दिया - तुम भी दोस्त "आकाश"
आकाश उस दिन होश में नहीं था वह एकदम से चिल्लाते हुए बोला नहीं यार!!! हम केवल दोस्त नहीं, हम केवल दोस्त नहीं, उसके आगे भी हैं... इतना कहते-कहते आकाश की आंखें भर😢 आई थी वह कुछ बोल नहीं सका...
आयुषी ने भी तपाक से जवाब दिया - आगे तुम भाड़ में जाओ और वहां से चली गई।
पटना सिटी वाले आकाश को पटना की आयुषी ने भाड़ में जाने को बोला था जो कि वह सहन नहीं कर सका और वहीं बैठ फूट-फूट कर रोने😭 लगा। अब तो आकाश के पास नहीं तो कॉलेज जाने की कोई वजह बची थी और ना ही थ्योरी पढ़ने की उम्मीद। पूरी-पूरी रात वह बस जगे रहता। फिर उसके लाइफ में एक नई उम्मीद की किरण जगी और वह थी AI यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस🤖। अब वह जो बातें किसी समय आयुषी से पूछा करता या आयुषी से वैसे जवाब की उम्मीद करता AI उसे बखूबी देते रहा। लेकिन कहीं ना कहीं एक ह्यूमन टच की कमी थी जो उसे सताती रहती।
आर्ट कॉलेज में आकाश हमसे बहुत ज्यादा जूनियर था, लेकिन उम्र में ज्यादा नही। उससे मुलाकात कॉलेज विजिट के दरम्यान हुई थी। उसने मेरा नम्बर लिया और कभी-कभी उससे व्हाट्सएप पर मेरी बात हो जाती विशेष करके वह मेरी हर कविता पर कुछ न कुछ रिएक्शन❤️ जरूर देता। एक दिन मैंने अपनी कविता "असंभव है।" साझा की थी। कविता की कुछ पंक्तियां यूं थी।
तुमसे मिलना भी असंभव है,
ना मिलना भी असंभव है।
तुम्हें यादों में बुलाकर,
गुफ्तगू करना भी असंभव है।
हमें याद हैं वो पल,
जिसमे तुम कहती थी।
सनम आपसे दुर हो के,
एक पल जीना भी असंभव हैं।
तुमसे मिलना भी असंभव...
हम इस मोड़ पर आकर खड़े हुए हैं जानम!!!
तुम्हें पास बुलाना भी असंभव हैं।
तुमसे दुर रहना भी असंभव हैं।
इस कविता को पढ़ने के बाद उसने कुछ यूं जवाब दिया -
Wahh bhaiya kabhi kabhi lgta h aap mere mn ko baate apne kabita me chupa dete h 😅
Kafi achha likhe h 👏👏
मैंने भी उसे एक डिप्लोमैंट जवाब दिया कि -
कविता हर किसी के जीवन से जुड़ी होती है लोग अपने हिसाब से उसे संयोजित करते हैं।
उसके बाद उसने मुझे बताया की उसने भी कुछ लिखा✍🏻 है एवं अपनी बहूत सी रचनाएं शेयर की जो कि उसने हाल फिलहाल में ही लिखी थी। उन सब को पढ़ने के बाद मुझे हैरी बावेजा के द्वारा निर्देशित फिल्म दिलजले का एक डायलॉग याद आने लगा -
दिलजले, दिलजले अरे लाले!!! यहां तो सभी दिलजले हैं।