शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025

तू प्यार🥰 है किसी और का...🤔


"अच्छा सुनो, जब पति-पत्नी का सात जन्मों का साथ होता है, तो क्या मरने के बाद स्वर्ग में भी दोनों साथ-साथ रहते होंगे?" हम एक शादी में गए थे। वहां फेरों पर पंडित जी श्लोक के साथ-साथ पति-पत्नी के अटूट बंधन की कथा भी कहते जा रहे थे। मेरे मन में अचानक से यह प्रश्न उठा। मैंने पास ऊंघ रहे पति के कान में फुसफुसा कर पूछा लिया। पति ऐसे चौंके जैसे उन्हें कोई 'शॉक' (अंग्रेजी वाला) लगा। "क्या कहती हो, जान! मरने के बाद भी साथ रहोगी क्या? तब भी पीछा नहीं छोड़ोगी?" "अरे! मैं थोड़ी न कह रही हूं। ये पंडित जी ही कह रहे हैं कि सात जन्मों का साथ है पति-पत्नी का। क्यों पंडित जी?" मैंने भी सोचा इनकी क्लास लगवा ही दी जाए।


पंडित जी ने मंत्रोच्चार से एक ब्रेक लेते हुए उत्तर दिया, "जी श्रीमान, पति पत्नी का संबंध अटूट होता है। स्वर्ग-नरक सब साथ-साथ ही भोगने होते हैं। बीच में इंटरवल थोड़ी ही होता है कि कुछ देर बाहर के नजारे देख आए।" उनकी इस बात पर सबकी हंसी छूट गई। शादी-ब्याह में ऐसी छोटी-मोटी फुलझड़ियां चलती ही रहती हैं। पति ने लंबी सी उबासी ली और बड़े अनमने ढंग से कहा, "तो फिर अगर पति-पत्नी मरने के बाद साथ रहते होंगे तो उसे स्वर्ग नहीं कहते होंगे।" पति की चुटकी पर वहां उपस्थित पूरा पति समाज ठहाके लगाकर हंस पड़ा। "सही बात है। अगर स्वर्ग में भी पत्नी के साथ ही रहना हो तो भैया हमें नरक में ही भेज देना।" बगल में खड़े मौसा जी ने एक आंख दबाकर चुटकी ली। हम पत्नियों का पलड़ा नीचे झुका जा रहा था।


अब हम पत्नी समाज के सब सदस्य एक दूसरे का मुंह ताकने लगे, लेकिन हम हार तो हर्गिज नहीं मान सकते थे। मुझे खुराफात सूझी, मैंने कहा, "अच्छा सुना तो मैंने ये भी है कि स्वर्ग में पुरुष को अप्सराएं मिलतीं हैं। क्यों जी, ये बात सही है क्या?" "हां हां... मिलती ही होगी। क्यों नहीं मिलेंगी? शादीशुदा पति जिंदगी भर इतना सब्र रखे तो उसे कुछ तो पुरस्कार मिलना ही चाहिए।" पति अब पूरे रंग में आ चुके थे। पति समाज के सदस्य खींसे निपोर कर अपनी-अपनी पत्नियों को मुंह चिढ़ा रहे थे। "अच्छा... अब सारी बात मेरी समझ में आ गई !" मैंने शरारत से कहा। "क्या समझ आ गया?" पति ने पूछा। आखिर पति हैं मेरे, कुछ-कुछ उन्हें लगा कि मेरे दिमाग में एक लॉजिक पक चुका था। "यही कि पति-पत्नी स्वर्ग में ही साथ रहते हैं और पतियों को अप्सरायें मिलतीं हैं वहां।" मैंने कहा। "चलो मान तो लिया तुमने। वरना आजकल की पत्नियां कहां आसानी से कोई बात मानती हैं।" पति बड़ी कुटिलता से मुस्कुरा रहे थे और कल्पना में गोते लगाने लगे थे कि वो अप्सरा के संग हैं और पत्नी सामने खड़ी कुढ़ रही है।


"अरे मानना ही था। तुम्हारी कोई भी बात आजतक गलत निकली है क्या?" मैंने मंद-मंद मुस्काते हुए कहा। पति ने अपनी शर्ट का कॉलर ऊंचा कर लिया। "अच्छा सुनो, सभी पति-पत्नी स्वर्ग में साथ रहते है, इसका मतलब यह हुआ कि वो जो अप्सराएं होतीं है न, वो अपनी नहीं दरअसल दूसरों की पत्नियां होती हैं। एक्सचेंज ऑफर यू नो।" मैंने अदा के साथ कहा तो पति समाज बगलें झांकने लगा। उनसे कोई उत्तर देते न बना। मैंने जले पर और नमक छिड़का। "बढ़िया कपल डांस चलता है वहां और जानते हो बैकग्राउंड में गीत कौन सा चलता है?" शास्त्रार्थ जीतने की मुस्कान मेरे चेहरे पर फैलने लगी थी। कौन सा? " मेरे पति का मुंह उतरने लगा था।" "तू प्यार है किसी और का तुझे चाहता कोई और है।" मैंने एक आंख दबा दी। अबकी बार ठहाके की बारी किसकी थी आप समझ ही सकते हैं।


ट्विंकल तोमर सिंह शिक्षिका, लखनऊ✍🏻

बुधवार, 22 अक्टूबर 2025

छठ पूजा के कहानी : सुरुज भगवान के भक्तिपूर्वक पूजा-पाठ.


         छठ पूजा भारत के एगो पुण्य एवं धार्मिक पर्व ह। एह उत्सव के दौरान बहुत संख्या में भक्त लोग सूर्य देवता आ उनकर जीवनसाथी (मेहरारू) उषा, जेकरा के भोर आ सांझ (Morning & Evening) के देवी के रूप में पूजा कईल जाला। सब लोग ई पूजा में आपन परिवार के सब बेंकत (Member) के भलाई खातिर आशीर्वाद माँगेला आ जीवन चलावें वाला ऊर्जा के खातिर आभार व्यक्त करेला। एह मौका पर सब परिवार एकजुट होके छठी मइया के पूजा संस्कार में लाग जाला, आ एके संगे समय बितावेला। अनुशासन के प्रयोग, आपन मन के साफ-सफ़ाई, आ भगवान खातिर आपन समय देबे के ई सही समय होला। आईं छठ पूजा, एकर कहानी, संस्कार, औरी महत्व आदि के बारे में विस्तार से जानल जावं।


छठ पूजा के कहानी

बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, अवरी नेपाल के कुछ हिस्सा में छठ पूजा खूब धुम-धाम से मनावल जाला। लेकिन आज ऐह सब राज्य के अलावे भी भारत ही ना विदेशन में भी आज ई त्यौहार मनावल जाता। एकरा से कई गो लोकप्रिय कहानी भी जुड़ल बाड़ी सनऽ। सबसे पहिले हम बात करऽ तानी छठ पूजा के महाभारत से जुड़ाव के बारे में...


महाभारत से जुड़ाव 

    छठ पूजा के उत्पत्ति से जुड़ल एगो लोकप्रिय लोककथा महाभारत में मिले ला। एह कहानी के मुताबिक वनवास के समय में द्रौपदी औरी पांडव के बेहद गरीबी औरी कष्ट के सामना करे के पड़ल। धौम्या ऋषि (पांडव के राज पुरोहित आ धार्मिक मार्गदर्शक) सलाह देहनी कि सूर्य देवता के पूजा कइला से तारा लोग के सब समस्या से मुक्ति मिल जाई आ आपन खोवल राज्य भी वापस आ जाई। ओकरा बाद द्रौपदी ईमानदारी से छठ पूजा कइली औरी सूर्य भगवान के सुबेरे औरी साझी के अर्ध्य दिहली। एकरा से पांडव के समस्या के समाधान हो गईल। एहमें भगवान सूरज के ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता आ सम्मान के महत्व के भी रेखांकित कइल गइल बा।


भगवान राम औरी सीता के लोक कथा

एह लोककथा के अनुसार, भगवान राम, सीता, आ लक्ष्मण 14 साल वनवास में बितवले। राक्षस राजा रावण के हरा के उ लोग अयोध्या वापस आ गईले। काहे से की रावण एगो ब्राह्मण रहे ओहि से ब्राह्मण के वध से मुक्ति पावें खातीर राम जी के एगो राजयज्ञ करे के सलाह मिलल। तब, राम जी ब्रह्महत्या मुक्ति यज्ञ के आयोजन कईनी। ओही बेड़ा देवी सीता भी व्रत रखली आ छठी मईया आ सूर्य के पूजा कइली। दुनु जाना मिल के डूबत आ उगत सूरज के अर्घ्य चढ़ावलो

इहो याद राखल जाओ, कि वनवास के समय सूर्य भगवान राम आ सीता के बुद्धि आ बल के इनाम देले रहले, जवना से उ लोग सब कठिनाई के सहन करे में सक्षम हो गईल लो। त, आपन देवता के प्रति आपन आभार व्यक्त करे खातिर दुनु जाना मिल के ओ बेड़ा जवन फल, औरी पारंपरिक मिठाई मिलल, ओकरे से ही पूजा कईल लो। इहे रिवाज आज ले चलत बा।


कर्ण के कहानी : जे सूर्य भगवान के भक्त रहले

एगो औरी लोककथा के अनुसार, भगवान सूर्य आ कुंती के पुत्र कर्ण महाभारत में एगो वीर योद्धा रहले। उ सूर्य देव के प्रति बहुत भक्ति खातिर प्रसिद्ध रहले। देवता से रक्षा औरी अजेयता के आशीर्वाद लेवे खातिर उ अपार तपस्या कईले। कर्ण, व्रत रख के एगो नदी के किनारे छठ पूजा कईले। उनकर भक्ति से प्रसन्न होके सूर्य देवता कर्ण के विशेष शक्ति दिहले। हालांकि उनकर जिनगी बहुते बुरा तरह से खतम हो गइल बाकिर सूर्य देवता के प्रति उनकर भक्ति के सराहना आजो कइल जाला। महाभारत में इहो लिखल बा की भगवान सूर्य औरी माता कुंती के लईका कर्ण रहले।  


छठी मईया : छठ पूजा के देवी

छठ पूजा के समय भक्त लोग छठी मईया जिनका के प्रजनन आ मातृशक्ति के देवी के रूप में भी पूजा कईल जाला। बिहार अवुरी पूर्वी उत्तर प्रदेश के स्थानीय लोककथा के मुताबिक छठी मईया के पूजा कईला से उनका लोग के स्वस्थ गर्भधारण में माई के आशीर्वाद मिलेला। एकरा से परिवार में समृद्धि भी आवेला औरी सब के निमन स्वास्थ्य सुनिश्चित भी होखेला।


छठ पूजा संस्कार 

छठी मईया के भक्त लोग बहुत श्रद्धा आ अनुशासन से छठ पूजा करेला। ई परब चार दिन ले चले ला। आई ओकरा बारे में विस्तार से जानल जावं :

छठ पूजा के पहिला दिन (नाहाय खाय) 

छठ पूजा के पहिला दिन भक्त लोग साफ पानी के स्रोत जइसे की कवनो नदी, पोखड़ा, नहर में नहा के अपना के शुद्ध करेला। पूजा के समय देवता के चढ़ावे खातिर पुण्य भोजन के सामान तैयार करेलालो औरी बिना लहसुन प्याज के लौकी के तरकारी औरी भात बना के खा के उपवास शुरू होला।

छठ पूजा के दूसरा दिन (खरना)

सूर्यास्त के बाद भक्त लोग आपन व्रत तोड़ेला। इ लोग सूर्य देव औरी छठी मईया के प्रतीकात्मक प्रसाद के रूप में पुण्य भोजन के सेवन करेला। पुण्य भोजन परिवार के सब सदस्य में भी बांटल जाला। एकरा के कृतज्ञता के प्रतीक मानल जाला। प्रसाद के रूप में रसिआव, रोटी औरी कुछ फल रहेला। 

छठ पूजा के तीसरा दिन (सांझ का अर्ध्य)

एह दिन श्रद्धालु लोग उपवास करत रहेला आ डूबत सूरज के विशेष प्रार्थना करेला। परिवार, दोस्त, रिश्तेदार, आ समुदाय के सब जाना कवनो पानी के स्रोत या नदी के किनारे एकट्ठा हो के बांस के टोकरी (सूप) में सूर्य भगवान के अर्ध्य चढ़ावेला। एक बेर शाम के पूजा खतम होखला के बाद सूरज के डूबे के इंतजार करे लालो औरी सभे जन के भलाई के खातीर छठी मईया से प्रार्थना करे लालो औरी एही दिने रात में सबका घरे कोशी भराला, फेर ओही कोशी के लेके भोर में घाट पर ले जा के फेन से उ प्रक्रिया के दुबारा कईल जाला।   

छठ पूजा के चौथा दिन/अंतिम दिन (उषा अर्घ्य)।

छठ पूजा के आखिरी दिन, एह दिन भक्त लोग सबेरे-सबेरे पानी में खड़ा होके उगत सूर्य के प्रार्थना करेला। भगवान सूर्य के अर्घ्य (जल, फल, आ फूल के विधिवत अर्पण) चढ़ावल जाला, मंत्र के जाप कईल जाला। सब परिवार आपन देवता के प्रति आभार व्यक्त करेला। अर्घ्य चढ़ते ही भक्त लोग आपन व्रत तोड़ेला, आ उत्सव शुरू हो जाला।


छठ पूजा के महत्व

छठ पूजा में पर्यावरण आ प्रकृति के सम्मान करे के विचार के बढ़ावा मिले ला। एह मौका पर सूरज देवता के पूजा कइला से व्यक्ति के कई तरीका से फायदा होला।


सूर्य भगवान के भक्ति

सूर्य देवता स्वास्थ्य आ जीवन शक्ति के प्रतीक हवे। एह मौका पर उनकर पूजा कइला से लोग के उनकर दिव्य आशीर्वाद सुस्वास्थ्य, धन आ समृद्ध जीवन के रूप में मिले ला।


आध्यात्मिक सफाई के काम होला

छठ पूजा के संस्कार/भुखला से आत्मा आ मन के शुद्धि हो सकेला। भक्त लोग नदी या झील में नहा के उपवास करेला आ पूरा भक्ति से देवता से प्रार्थना करेला। ई सब गतिविधि ओह लोग के अध्यात्म के नया ऊंचाई पर ले जाला।


ई पर्व सब लोग के एक साथ ले आवेला 

छठ पूजा परिवार आ समुदाय के एकजुट होखे, एक संगे देवता से प्रार्थना करे, आ परब मनावे के सबसे बढ़िया समय हां। एहसे ओह लोग के रिश्ता मजबूत हो जाला।


एगो पूरा करे वाला छठ पूजा के टिप्स

त्योहार के सही तरीका से मनावे खातिर एह सिफारिश के रउवा सभे पालन करीं : 


जल्दी सबकुछ तइयारी कर लीं

छठ पूजा के तइयारी कुछ दिन पहिले से शुरू कर दीं, आपन सुविधा के हिसाब से, पूजा के जरुरी सब सामान जइसे कि टोकरी, फल आदि खरीदीं पुण्य भोजन के सामान परम सावधानी से तैयार करीं। 


मानसिक रूप से तइयार रहे के चाहीं 

याद रखीं कि छठ पूजा में सूरज देवता औरी छठी मईया के प्रार्थना कइल जाला। पानी में खड़ा होखल, आ लमहर व्रत ई होला। एह संस्कारन खातिर अपना के तइयार करीं. एह से रउरा एह मौका के बहुते भक्ति से आ बिना कवनो दिक्कत के मनावे में मदद मिली। 


आपन घर औरी आसपास के सफाई करीं

याद रखी कि छठ पूजा में साफ-सफाई के बहुत महत्व बा। एही से आपन घर, आसपास, आ नदी के किनारे के साफ करीं। पूजा खातिर सही जगह चुनीं। अगर नदी ना जा पाईं त पास के इलाका में पूजा खातिर अस्थायी पानी के स्रोत बनाईं, साफ-सुथरा पोखरा भी पूजा खातिर उपयुक्त बा।


एगो अंतिम बात

छठ पूजा एगो मशहूर परब हऽ जवना में जीवन, प्रकृति, ऊर्जा, आ सूरज देवता के मनावल जाला। एह दिन लोग परिवार के साथे मिल के संस्कार में भाग लेला, पुण्य भोजन आ अभिवादन साझा करेला, प्रियजन से मिले जाला, आ लंबा समय तक चले वाला छाप छोड़ेला। रउआ सभे बहुत श्रद्धा से छठ पूजा 2025 मनाईं, समृद्ध आ पूर्ण जीवन खातिर सूर्य भगवान आ छठी मईया से आशीर्वाद मांगी। 

सब लोग के छठ पूजा के हार्दिक शुभकामना।🙏

गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

एक कविता में सम्पूर्ण रामायण।



राम राम रामा सरयू तट पर राज्य कौसला है नामा,
अयोध्या है जिसकी राजधानी।
जिसके राजा दशरथ कहें नितिन कहानी
रानीयाॅं तीन कोशल्या, कैकेई और सुमित्र
नहीं हुआ तीनों को कोई पुत्र
पुत्र प्राप्ति हेतु वशिष्ट से यज्ञ करवाया
राम लखन भरत और शत्रुघ्न को पाया
चारों अस्त्र शस्त्र और युद्ध में बलवान
विश्वामित्र थे आश्रम में राक्षसों से परेशान
विश्वामित्र के आश्रम गए लखन और रामा
वहाॅं उन्होंने भयंकर-भयंकर राक्षसों को मारा
‌ऋर्षि ने दिव्य अस्त्र दिए राम किया प्रणामा
विश्वामित्र तब ले पहुंचे राम जनक धामा
धनुष तोड़ सीता को राम वधू बनाया
अयोध्या पहुंच मात पिता को शीश नवाया
राम के राजा बनने का जब समय आया
मंथरा ने कैकेई को तब भड़काया
बोली हे भरत मात कैकेई महोदया
कौशल्या पुत्र न बन जाए राजा अयोध्या
तू वचनों को अपने राजा से मांग ले
भरत को राज्य और राम को वनवास दे
वचनों को कैकेई के सुन दशरथ पर आघात हुआ
भरत को राज्य मिला और राम को वनवास हुआ
राम संग सीता और लखन भी बन को चल दिये
कैकेई और मंथरा के ही मन में जलने लगे दिये
इधर राम लखन सीता सहित बन को चले
उधर दशरथ प्राण तन को छोड़ यम को चले
केवट ने तब सरयू पार कराया
राम चित्रकूट में पर्णकुटी बनाया
लंकापति की बहन सुपनखा वहाॅं आ गई
राम लखन की सुंदर छवि उसे भाग गई
उसने दोनों भाइयों से विवाह को आग्रह किया
उन्होंने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया
क्रोधित हुई राक्षसी ने मात पर हमला कर दिया
लखन ने नाक को भी उसकी अलग कर दिया
नकटी बहन को देख रावण क्रोधित हुआ
उससे सीता का वर्णन सुन मोहित हुआ
मारीच हिरन बन कुटिया के पास जा खड़ा हुआ
सुंदर हिरन को देख सिय हिरन पाने का मन हुआ
लखन सिया को छोड़ राम हिरन लेने गए
राम ने जब मारा मारीच को बान
निकलने लगें उसके तन से प्राण
चिल्लाया बचाओ हे सिय हे लखन भाया
लगा सिय को संकट में है पति प्राणा
दे सौगंध सिय ने लखन को भेजा
तब लखन ने एक रेखा खिंचा
हे मात इससे बाहर न जाए
चाहे कितनी भी मुसीबत आए
साधू रुप धर रावन वहां आया
भिक्षांम देही भिक्षांम देही चिल्लाया
माता के भिक्षा देती ही रावण ने उन्हें उठाया
अपने पुष्पक विमान में जबरन बैठाया
माता के रूदन को जब जटायु ने सुना
तुरंत आ वह रावन से लड़ा
जटायु ने ज्यों रावन पर प्रहार किया
उसने उसके परो को काट दिया
राम लखन ने सिय को कुटी में न पाया
उन्होंने सिय खोजने को कदम बढ़ाया
धरा पर पड़े करहाते हुए जटायु राम पाया
जटायु ने जो घटी उस घटना को बताया
विरह में फिरत फिर राम रिशिमुख आए
जहां पवन पुत्र हनुमान को पाए
हुई यही सुग्रीव से मुलाकात
बनें मित्र दोनों थामा मित्रता का हाथ
देख दुखी राम हनुमाना
चले खोजन सिय करत राम प्रणामा
जब समुद्र मार्ग में बना अवरोध
जामवंत कराया हनुमान शक्ति बोध
पल भर में हनुमत समुद्र सीमा पार की
लंक पहुंच प्रभु मुद्रिका सिय को प्रदान की
क्रोध में वाटिका सारी उजाड़ दी
लेकर हनुमत अपने प्रभु का नामा
लंका को बनाया जलता हुआ शमशाना
लौटकर लंका से माता हाल सुनाया
राम लखन अब कुछ चैन सा पाया
राम, हनुमान और सुग्रीव वानरों की सेना बनाई
उठा धनुष और गदा लंका पर कर दि चढ़ाई
राम अनेक राक्षसों को मारा
फिर कुम्भकरण को संहारा
मेघनाथ और लखन भी टकरा गये
सबके मन डर से दहला गये
मेघनाथ ने लखन पर शक्ति आघात किया
मानों श्रीराम के हृदय पर वज्रपात किया
हनुमत तब संजीवनी लाए
राम लखन को जीवित पाए
पुनः लखन मेघनाथ आपस में भिड़ गए
मानो यमराज स्वयं लखन रूप धर गए
लखन ले प्रभु का नाम ऐसा मारा बाण
जो पल भर में लें आया मेघनाथ के प्राण
अब रावण स्वयं युद्ध में आ गया
चहुं दिशाओं में डर का माहौल छा गया
धरा और अम्बर भी घबरा गया
देवता समुह भी अम्बर में अब आ गया
रावण राम के बाण टकरा गये
रावण के भी काल राम में समा गये
राम शीशन पे काटे शीश रावण की ना मृत्यु होए
मारन का रावण को हर प्रयास विफल होए
तब कान में राम के विभिषण फुसफुसा
भाई की मृत्यु का भाई ने ही राज बताया
राम ने ब्रह्मास्त्र का अनुसंधान किया
नाभि का सोम सुखा रावण को मृत्यु दान दिया
रावण को पता था कि उसका गलत था कामा
वो चिल्लाया हे प्रभु राम राम रामा
राम सिय का मिलन हुआ
विभिषण का राज्याभिषेक हुआ
राम सिय लखन अयोध्या है आए
नगरी ने मिलकर स्वागत गीत है गाए
राम को राजा बनाया गया
सिय पर लांछन लगाया गया
सब छोड़ सिय पुनः वन गई
वाल्मीकि के यहां रूक गई
सिय ने दो पुत्र जाये सब थे बहुत खुश
बड़े का नाम लव छोटे का था कुश
राजा राम ने अश्वमेध यज्ञ करवाया
यज्ञ अश्व चहु ओर घुमवाया
सब ने उसे है बस शीश नवाया
लव कुश ने उसे है बन्दी बनाया
अश्व छुड़ाने सेना आई
लव कुश ने है मार भगाई
भरत, शत्रुघ्न और फिर लखन है आए
पर लव कुश वो हरा ना पाए
जब भाई सभी परास्त हुये
स्वयं राम युद्ध में आ गये
ज्यों लव कुश ने धनुष बाण उठाया
तभी गुरु ने आ धमकाया
क्यों तुमने राजा पर धनुष उठाया
क्या यही है मैंने तुम्हें सिखाया
क्षमा मांग लव कुश ने राजा को प्रणाम किया
भरत, शत्रुघ्न और लखन को जीवनदान दिया
जा मात को सारी कथा सुनाई
हराया भरत, शत्रुघ्न, लखन और आए फिर रघुराई
हमने भी रघुवर पर धनुष तान दिया
हाय तुमने जीते जी मुझे मार दिया
अपने पिता पर ही तुमने धनुष बाण तान दिया
प्रथम मुलाकात में ये कैसा है मान दिया
महल जा लव कुश सम्पूर्ण रामायण सुनाई
फिर सिय की भी है वन व्यथा बताई
स्वयं का नाम लव कुश बताया
राम पिता और सिय को है मात बताया
वाल्मीकि तब सिय को लेकर आए
प्रजा जन क्षमा मांगते दिए दिखाए
सिय ने तभी है धरा को पुकारा
यदि हूं पवित्र मैं अपारा
मुझे गोद में अपनी स्थान दें
मेरा जीवन आप ही अब तार दे
तभी धरा फटी धरा-धरा से प्रकट हुई
सिय गोंद में उनके निज धाम गई
फिर राम ने सरयू में किया स्नाना
निज धाम को किया तब प्रस्थाना
बोलो राम राम रामा
नितिन राघव ✍️

जब मैंने पहली बार केक🎂 काटा। 🥳

            शीर्षक पढ़कर आपको लग रहा होगा कि हम अपने पहले जन्मदिन🎂 की बात करने वाले हैं लेकिन शायद आप गलत है क्योंकि हमारे यहां तो जन्मदिन मनाने की प्रथा ही नहीं थी। थोड़े बड़े हुए तो जन्मदिन के दिन कुछ मिठाईया/समोसा लाकर ख़ुद खाकर एवं दूसरों को खिलाकर खुश हो जाया करते। घर पर ऐसा कुछ विशेष प्रबंध नहीं किया जाता। जब पटना में मेरा नामांकन कला एवं शिल्प महाविद्यालय में हुआ तब यहां देखते कि हर महीने जब किसी का बर्थडे होता तो बहुत ही धूमधाम से केक🎂 काट कर सभी लोग मनाते🥳। इन सभी से थोड़ा इंस्पायर होकर हम भी अपने बर्थडे के दिन जो मेरे खास दोस्त होते उनको मिठाई वगैरा खिलाते या फिर किसी होटल में पार्टी दे देते। यह सिलसिला यूं ही चलता रहा...


        2017 में जब हम सहायक प्राध्यापक (Assistant Professor) के पद पर साईं कॉलेज ऑफ़ टीचर्स ट्रेनिंग ओनामा, बरबीघा  शेखपुरा में ज्वाइन किए, तब जाकर के अपना बर्थडे मनाये थे लेकिन उस दिन भी केक नहीं काटे। बस महाविद्यालय के सभी स्टाफ एवं छात्रों को मिठाई एवं समोसा खिलाये थे। उसके बाद फिर यूँ ही बर्थडे आता और चला जाता। इस बार सोचे कि हम जब NIFT में हैं तो क्यों ना जन्मदिन🎂 को अच्छे से मनाया जाए इसके लिए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखें और शेयर कर दिये। नीचे दिए गए लिंक से आप पोस्ट को देख सकते हैं 👇🏻


https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0ZBa2Yzxeg2qtNgNRqVxLLXnXaJwF4HWkkVLi1vER751Co5uBzqUTBBTtuVrEPVK1l&id=100003040571671&mibextid=Nif5oz


Click here and find Post.


      सुबह में जब Gym में गए तो अपने पूर्व के आदत के अनुसार कुछ मिठाइयां लेते गए थे। वहां के हमारे व्यामशाला प्रशिक्षक (Gym Trainer) विराट जी को मेरे जन्मदिन के बारे में पता था क्योंकि उन्होंने मेरा व्हाट्सएप में स्टेटस देख लिया था जो कि मैंने सुबह 04:00 बजे का लगाया था। नितेश जी फटाफट उस समय ही केक लाने का प्रयास किये लेकिन इतनी सुबह दुकान नहीं खुली थी फिर उन्होंने मुझसे अनुरोध किया कि सर आप शाम में आईएगा शाम में ही हमलोग आपका बर्थडे सेलिब्रेट करेंगे। मैंने भी सोचा की कोई इतना प्यार से अनुरोध कर रहा हैं तो मना नहीं करना चाहिए। हम शाम में आएंगे इस बात पर उन्हें सुनिश्चित कर वापस रूम पर आ गए।


         NIFT-PATNA के परिसर में दिनभर सभी लोगों का शुभकामना 💐 सन्देश मुझे प्राप्त होता रहा। मैंने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। शाम में 05:30 में NIFT से निकले और आते समय कुछ टॉफ़ी लें लिये क्योंकि Birthday Boy को टॉफी बांटना चाहिए। 06:30 के आस-पास नितेश जी केक लेकर आए उस केक के ऊपर English में कुछ लिखा हुआ था। अमूमन केक पर  Birthday Boy का नाम ही लिखा रहता है लेकिन इस पर केवल 03 ही अक्षर थे जबकी मेरे नाम में 10 शब्द है - BISHWAJEET पुन: देखे तो पता चला की Six लिखा है। 


       मै आश्चर्य में पड़ गया की ये केक के ऊपर क्या लिखवा कर लाये है। मैंने नितेश भैया से पूछा की ये केक पर क्या लिखवा लिए है ?

तब उन्होंने कहां - आरे !!! Sir लिखा है। 

केक के ऊपर Sir लिखा हुआ था। यानी Birthday Sir का हैं।

...लिखने वाले ने भी क्या ख़ूब लिखा था उसने Sir को Six कर दिया था। खैर हम उनकी भावनाओं को समझे और केक काटने के लिए आगे बढ़े। ये मेरी ज़िन्दगी का पहला केक कटिंग समारोह था जो की वहां पर हो रहा था जहां कोई एक दुसरे को नही जानता था शिवाय नितीश भैया और विराट जी को छोड़कर क्योंकि हम सुबह के बैच में आते थे और ये समारोह शाम में हुआ। सबसे मजेदार प्रसंग तो तब हुआ जब केक काटने के बाद कोई उसे खाने वाला ही नही था, वजह यह थी की Gym के अंदर हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर के कुछ ज्यादा ही सजग हो जाते है वहां भी सभी हो गये थे की केक में शुगर है हम नही खायेंगे। मै भी सोच रहा था की मेरा पहला केक कटिंग समारोह कैसा हो गया ? कोई केक खाने वाला ही नही है। खैर!!! फिर विराट जी ने सभी को बताया की थोड़ा सा खा सकते है उससे कोई दिक्कत नही होगा तब जाके कुछ लोगो ने खाया वो भी थोड़ा सा ही... जो केक बच गया था उसे मैंने नितेश भैया को बोला की आप इसे लेते जाइयेगा। 

सोशल मीडिया पर तो बधाई🎉 देने वालो की होड़ मची हुई थी, मैंने भी सभी को धन्यवाद बोला। मेरा पहला केक कटिंग समारोह मन तो गया लेकिन अभी तक किसी ने भी Gift🎁वगैरा नही दिया था। अगले दिन जब कॉलेज में गए तब क्या देख रहे है की विनायक सर ने केक मंगाया है और उन्होंने हम सभी फैकल्टी के साथ हमसे दुबारा केक कटवाएं। वही हमें लग रहा था कभी एक भी नही और आज इतना सारा केक। शाम में अभिषेक रूम पर आया उसने एक डायरी और पेन मुझे दिया As a Gift🎁☺️.  

सोमवार, 22 सितंबर 2025

क्या दिक्कत है ?


क्या दिक्कत है ?


लेडी को औरत कहने में।

वेल्थ को दौलत कहने में।

हैबिट को आदत कहने में।

इंडिया को भारत कहने में।


क्या दिक्कत है ?


वॉटर को भी जल कहने में।

टुमारो को कल कहने में।

क्रेजी को पागल कहने में।

सॉल्यूशन को हल कहने में।


क्या दिक्कत है ?


वरशिप को पूजा कहने में।

सेकंड को दूजा कहने में।

हर चिक को चूजा कहने में।

यू गो को तू जा कहने में।


क्या दिक्कत है ?


इनिंग को पारी कहने में।

हैवी को भारी कहने में।

वूमन को नारी कहने में।

वर्जिन को क्वारी कहने में।


क्या दिक्कत है ?


टेन्स को काल कहने में।

रेड को लाल कहने में।

नेट को जाल कहने में।

चीक्स को गाल कहने में।


क्या दिक्कत है ?


किंग को राजा कहने में।

बैंड को बाजा कहने में।

फ्रेश को ताजा कहने में।

कम इन को आ जा कहने में।


क्या दिक्कत है ?


डिवोशन को भक्ति कहने में।

टेक्टिक को युक्ति कहने में।

पर्सन को व्यक्ति कहने में।

पावर को शक्ति कहने में।


क्या दिक्कत है ?


जिंजर को हिम्मत कहने में।

रिस्पेक्ट को इज्जत कहने में।

प्रेयर को मन्नत कहने में।

प्रॉब्लम को दिक्क्त कहने में।


क्या दिक्कत है ?


टॉर्च को मशाल कहने में।

थॉट को ख़याल कहने में।

ग्रीफ को मलाल कहने में।

एजेंट को दलाल कहने में।


क्या दिक्कत है ?


कलर को रंग कहने में।

विथ को संग कहने में।

वेव को तरंग कहने में।

पार्ट को अंग कहने में।


क्या दिक्कत है ?


मदर को मईया कहने में।

ब्रदर को भईया कहने में।

काउ को गईया कहने में।

हसबैंड को सईया कहने में।


क्या दिक्कत है ?


हीट को ताप कहने में।

यू को आप कहने में।

स्टीम को भाप कहने में।

फादर को बाप कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


बेड को ख़राब कहने में।

वाईन को शराब कहने में। 

बुक को किताब कहने में।

सॉक्स को जुराब कहने में।


क्या दिक्कत है ?


डिच को खाई कहने में।

आंटी को ताई कहने में।

बर्बर को नाई कहने में।

कुक को हलवाई कहने में।


क्या दिक्कत है ?


इनकम को आय कहने में।

जस्टिस को न्याय कहने में।

एडवाइज़ को राय कहने में।

मिल्कटी को चाय कहने में।


 क्या दिक्कत है ?

 

फ़्लैग को झंडा कहने में।

स्टिक को डंडा कहने में।

कोल्ड को ठंडा कहने में।

ऐग को अंडा कहने में।


क्या दिक्कत है ?


बीटिंग को कुटाई कहने में।

वॉशिंग को धुलाई कहने में।

पेंटिंग को पुताई कहने में।

वाइफ को लुगाई कहने में।


क्या दिक्कत है ?


स्मॉल को छोटी कहने में।

फेट को मोटी कहने में।

टॉप को चोटी कहने में।

ब्रेड को रोटी कहने में।


क्या दिक्कत है ?


ब्लैक को काला कहने में।

लॉक को ताला कहने में।

बाउल को प्याला कहने में।

जेवलीन को भाला कहने में।


क्या दिक्कत है ?


गेट को द्वार कहने में।

ब्लो को वार कहने में।

लव को प्यार कहने में।

हॉर को छिनार कहने में।


 क्या दिक्कत है ?

 

लॉस को घाटा कहने में।

मील को आटा कहने में।

प्रोंग को काँटा कहने में।

स्लेप को चाँटा कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


टीम को टोली कहने में।

रूम को खोली कहने में।

पैलेट को गोली कहने में।

ब्लाउज़ को चोली कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


ब्रूम को झाड़ कहने में।

हिल को पहाड़ कहने में।

रॉअर को दहाड़ कहने में।

जुगाड़ को जुगाड़ कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


नाईट को रात कहने में।

कास्ट को जात कहने में।

टॉक को बात कहने में।

किक को लात कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


सन को संतान कहने में।

ग्रेट को महान कहने में।

मेन को इंसान कहने में।

गॉड को भगवान कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


लाइक को पसंद कहने में।

क्लोज को बंद कहने में।

स्लो को मंद कहने में।

पोएम को छंद कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


फेक को नकली कहने में।

रियल को असली कहने में।

वाइल्ड को जंगली कहने में।

लाइट को बिजली कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


ग्रीन को हरा कहने में।

अर्थ को धरा कहने में।

प्योर को खरा कहने में।

डेड को मरा कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


रूम को कमरा कहने में।

डीप को गहरा कहने में।

जंक को कचरा कहने में।

गॉट को बकरा कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


जस्ट को अभी कहने में। 

एवर को कभी कहने में।

देन को तभी कहने में।

ऑल को सभी कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


मेलोडी को राग कहने में।

फ़ायर को आग कहने में।

गार्डन को बाग कहने में।

फॉम को झाग कहने मे।


 क्या दिक्कत है ?


स्टेन को दाग कहने में।

स्नेक को नाग कहने में।

क्रो को काग कहने में।

सेक्सन को भाग कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


ग्रांड को भवि को कहने में।

पिक्चर को छवि कहने में।

सन को रवि कहने में।

पोएट को कवि कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


हाउस को घर कहने में।

टैक्स को कर कहने में।

फॉबिया को डर कहने में।

फिऑन्से को वर कहने मे।


 क्या दिक्कत है ?


प्लेस को ठाँव कहने में।

शेड को छाँव कहने में।

फुट को पाँव कहने में।

विलेज को गाँव कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


वायर को तार कहने में।

फॉर को चार कहने में।

वैट को भार कहने में।

फ्रैंड को यार कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


पिकल को अचार कहने में।

वॉल को दीवार कहने में।

स्प्रिंग को बहार कहने में।

बूर को गँवार कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


मीनिंग को अर्थ कहने में।

वेन को व्यर्थ कहने में।

एबल को समर्थ कहने में।

पेरिल को अनर्थ कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


न्यू को नया कहने में।

शेम को हया कहने में।

मर्सी को दया कहने में।

वेंट को गया कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


डॉटर को तनया कहने में।

वर्ल्ड को दुनिया कहने में।

प्लीज़ को कृपया कहने में।

मनी को रुपया कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


प्रिजनर को बंदी कहने में।

डर्टी को गन्दी कहने में।

डॉट को बिन्दी कहने में।

Hindi को हिन्दी कहने में।


क्या दिक्कत है ?


मनीष✍🏻

शनिवार, 13 सितंबर 2025

कपोल गीले😭 हो रहे हैं मेरे...


कपोल गीले😭 हो रहे हैं मेरे,

 स्वयं के खारे पानी से।

 अब तो खड़ा हूं मैं अकेला,

 इस भीड़ भरी जिंदगानी से।


 इधर मैं बेसुध बीमार सा, 

 अपने खेतों में पड़ा हूं।

उधर वो चह-चहा रही है 

 किसी और बगिया के मयखानो में।


 इतना नासाज़ सा हो गया हूं उसके ख्यालों में,

हमेशा रहता हूँ पड़ा अपने घर के विरानो में।

वो तो ऐसे छपक रही है,

 जैसे हो कोई भैंस पानी में।


 मेरा तो किया गया हर एक कार्य बुरा लगता था,

लेकिन बाड़ा अब बहुत प्यारा लग रहा है।

खुश हो रही है ऐसे जैसे हो कोई बकरी, 

हरे-भरे खेतों की हरियाली में।


कपोल गीले हो रहे हैं मेरे,

 स्वयं के खारे पानी से।

 अब तो खड़ा हूं मैं अकेला,

 इस भीड़ भरी जिंदगानी से।


विश्वजीत कुमार ✍🏻



बुधवार, 3 सितंबर 2025

प्यार तो वह मुझसे कम करता है।



प्यार तो वह मुझसे कम करता है,

लेकिन ऐलान ख़ूब करता है।

इस तरह वो मेरा,

नुकसान बहुत करता है।


उसका चेहरा जो है ना!!! 

नज़र से कभी नहीं हटता मेरी।

शायद इसीलिये रात-दिन मुझको, 

परेशान बहुत करता है।


जी तो चाहता है भुला दूँ उसे मैं,

लेकिन ख़यालो में आ-आ कर के वो बेज़ार बहुत करता हैं।

ऐसा नही है की मै उसे पसंद नही,

बस ये बताने से वो एहतिराम करता है।


खुश नसीब हो आपलोग जो उसकी कहानियां सुनने के आए हो,

वरना वो तो एक अल्फाज़ हैं।

रहता तो हमेशा मेरे साथ हैं,

लेकिन एतबार नही करता है।


उक्ता गया हूँ उसके इस कार्यो से,

ना कभी वो हाँ और ना कभी ना कहता है।

बस!!! अपनी आँखों के झील में रखता है।

ना डूबने देता है और ना उबरने देता है...

अपनी काजल की लकीरों की, 

वह लक्ष्मण रेखा तैयार रखता है।


प्यार तो वह मुझसे कम करता है,

लेकिन ऐलान ख़ूब करता है।

इस तरह वो मेरा,

नुकसान बहुत करता है।


विश्वजीत कुमार✍🏻


कविता में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ -

एहतिराम (احترام) - सम्मान, आदर, इज़्ज़त या मान-मर्यादा
अल्फ़ाज़ - "शब्द" या "शब्द समूह
एतबार - (पुल्लिंग) विश्वास, भरोसा।
बेज़ार - परेशान
उक्ता - ऊबा हुआ