गुरुवार, 12 दिसंबर 2024

माफ करो मुझको देवी, मैं प्यार नहीं दे पाऊंगा !!!

A cartoon depicting a man, looking terrified, with exaggerated expressions to highlight the fear."

 

तू कंप्यूटर युग की छोरी, मन की काली तन की गोरी !

किंतु तुम्हें मैं अपनी बाहों का, गलहार नहीं दे पाऊंगा !

 तू माफ करो मुझको देवी, मैं  प्यार नहीं दे पाऊंगा !!


तुम फैशन टीवी की चैनल, मैं संस्कार का चैनल हूं !

तुम मिनरल वाटर की बोतल, मैं गंगा का पावन जल हूं !!

तुम लक्ज़री कार में चलती हो, मैं पाँव-पाँव चलने वाला !

तुम हाय हेलो  में पली बढ़ी, मैं दीपक  सा जलने वाला !!

वो चमक-दमक वाला तुमको, संसार नहीं दे पाऊंगा !

तू  माफ  करो  मुझको  देवी, मैं प्यार नहीं दे पाऊंगा !!


तुम रैंप पर देह दिखाती हो, मैं संस्कार को जीता  हूं !

जब तुम्हें देखकर सिटी बजता, मैं घुट लहू का पीता हूं !!

तुम सदा स्वप्न में जीती हो, मैं यथार्थ में जीने वाला  !

तुम  बियर  व्हिस्की  पीती हो, मैं हूं मट्ठा पीने वाला !!

तुम्हें  फास्ट  फूड  भी  मैं  हर बार नहीं दे पाऊंगा !

तू माफ करो मुझको देवी, मैं प्यार नहीं दे पाऊंगा !!


तुम क्लॉक अलार्म सी नजरों में, मैं कॉक वार्न से जगता हूं !

तुम डिस्को की धुन पर नाचो, मैं राम नाम ही जपता हूं !!

तुम डैडी को अब डैड कहो, मम्मी को मॉम बताती हो !

तुम करवा चौथ भूल बैठी, डे वेलेंटाइन मनाती हो !!

मैं तुम्हें  तुम्हारे  सपनों का, त्यौहार नहीं दे पाऊंगा !

तू  माफ करो मुझको देवी, मैं  प्यार नहीं दे पाऊंगा !!


तुम पॉप म्यूजिक सुनने वाली, मैं बंसी की धुन की धुनिया !

मैं लैपटॉप भी ना रखता , तुम इंटरनेटी की दुनिया !!

तुम मोबाइल की मैसेज सी, मैं पोस्टकार्ड लिखने वाला !

तुम टेडी बीयर सी लगती, मैं गुब्बारे सा उड़ने वाला !!

मैं भौतिकवादी सुख साधन का, संसार नहीं दे पाऊंगा !

तू माफ करो मुझको देवी,  मैं  प्यार नहीं दे पाऊंगा !! 


नीतीश कुमार✍️

बुधवार, 11 दिसंबर 2024

जब केहू दिल💕 में उतरs जाला।


मुरझाईल फूलवा🥀, लागे ला महके🌹,

चंचल चिरईया मन के लागे ले चहके🐥

दीया, मन में पिरितिया के जर🪔 जाला,

जब केहू दिल💓 में उतरs जाला।


नीक नहीं लागे ला केहू के बतिया🗣️,

हर जगे लउके बस उहे सुरतिया👱🏻‍♀️

दोसरा में बस जाला, आपन प्राणवाँ🥰

जियरा ना माने ला अपने कहानवाँ,

केतना आस मन के घवद पर फर जाला,

जब केहू दिल💓 में उतरs जाला।


आसान नाही होला, ई नेहिया💕 के काम।

सुख-चैन सब कुछ, हो जाला नीलाम।

लागे ना भूख-प्यास, कौनो भी बेला।

लोग अपने ही घर में, हो जाला अकेला🥲

नैन हँसते-हँसते, लोरवा😢 से भर जाला.

जब केहू दिल💓 में उतरs जाला।


साभार - सोशल मीडिया 

शुक्रवार, 29 नवंबर 2024

शायद!!!! हर लड़कों की कहानी से जुड़ी कविता....

कन्या एक कुंवारी थी, 

छू लो तो चिंगारी थी 

वैसे तो तेज कटारी थी, 

लेकिन मन की प्यारी🤗 थी। 


सखियों से बतियाती थी, 

लड़को से घबराती थी 

मुझसे कुछ शर्माती थी, 

बस से कॉलेज आती थी।


 अंतर्मन डिस्क्लोज😍 किया, 

एक दिन उसे प्रपोज🥰 किया

पहले वह नाराज हुई तबीयत सी ना-साज हुई, 

फिर बोली - अभी यह ठीक नहीं!!! अपनी ऐसी रीत नहीं।


 लिखने-पढ़ने के दिन है, 

आगे बढ़ने के दिन है 

यह बातें फिर कर लेंगे, 

इश्क-मोहब्बत👩🏻‍❤️‍👨🏼 फिर कर लेंगे


अभी ना मन को हिट करो, 

पहले एम.एफ.ए (M. F.A.) तो कंप्लीट करो।


 उसने यू रिस्पांस किया, 

प्रपोजल को पोस्टपोन किया 

हमने भी हिम्मत नहीं हारी, 

मन में ऊर्जा नई भरी 


रात-रात भर पढ़-पढ़ कर, 

नई इबादत गढ़-गढ़ कर 

ऐसा सबको शॉक्ड दिया, 

मैंने कॉलेज टॉप🏆 किया।


 अब तो मूड🤩 सुहाना था, 

उसने मन भी जाना था 

लेकिन उसका राग पुराना था, 

फिर एक नया बहाना था। 


जॉब करो कोई ढंग की, 

फिर स्टेटस की नौटंकी 

कभी कास्ट का पेंच फंसा, 

कभी बाप को नहीं जंचा।


 थक कर रोज झमेले में, 

सोनपुर के मेले में।

एक दिन जोश में आकर के,

कहां उसे जाकर के।


 जो कह दोगी कर लूंगा

कहो हिमालय चढ़ लूंगा। 

लेकिन क्लियर बात करो, 

ऐसे ना जज्बात हरो।


या तुम हां कह दो, 

या साफ मना कर दो।


सुन कर कन्या मौन हुई,

हर चालाकी गौण हुई।

तभी नया छल कर लाई,

आँख में आशु😢 भर लाई।


हिम्मत को कर ढेर गई,

प्रण पर आशु फेर गई।


पुन: प्रपोजल बिट हुआ,

नखड़ा नया रिपीट हुआ।

थोड़ा सा तो वेट करो,

पहले पतला पेट🫄🏻 करो।


ज्वाइन कोई जिम💪🏻 कर लो,

तोंद ज़रा सी डीम कर लो।

खुश्बू🏵️ सी खिल जाउंगी,

मै तुमको मिल जाउंगी।


तीन साल का वादा कर,

निज क्षमता से ज्यादा कर।

हीरो जैसी बॉडी से,

देंसिंग वाले रौडी से।


बेहतर फिजिक्स बना ना लूँ,

छह:(06), छह:(06)🏋️‍♂️ पैक बना ना लूँ।

सूरत नहीं  दिखाउंगा,

तुझको नहीं सताउंगा।


रात-रात भर श्रम कर के,

खाना-पीना कम कर के।

रुखी सुखी खा कर के,

सरपट दौड़🏃🏻 लगा कर के।


सोने सी काया कर ली,

फिर मन में नई उर्जा भर ली।

 उसे ढूढ़ने निकल पड़ा,

किन्तु फिर प्रेम में खलल💔 पड़ा।


चुन्नी बांध के छल्ले में,

किसी और के गले में।

वह जूही की कली गई,

किसी और की गली गई।


शादी कर के चली गई,

हाय रे!!! किस्मत छली गई।


थका-थका, हारा-हारा,

हाय!!! मै बदकिस्मत बेचारा।

पल में दुनिया घुम लिया,

हर फंदे पर झूल गया।


अपने आशु 😢 पोछूँगा,

कभी मिलेगी तो पूछूँगा।

क्यों मेरा दिल💔 तोड़ गई,

प्यार जता कर छोड़ गई।


कुछ दिन बाद दिखाई दी,

वो आवाज़🌬️ सुनाई दी।


छोड़ा था नवचंडी में 

पाई सब्जी मंडी में।

वो जो एक छड़हरी थी,

कंचन देह सुनहरी थी।


वो कितनी लिजी-लिजी मिली,

बार्गेनिग में बिजी मिली।

वो जो चहका करती थी,

हरदम महका करती थी।


अब दो की महतारी थी,

तीजे की तैयारी थी।


उलझे-उलझे बाल हुए,

बिखड़े-बिखड़े गाल हुए।

दिल के फूटे छालो ने,

इन बेढंगे हालो ने।


सपनो में विष घोला था,

एक हाथ में झोला था।

एक हाथ में मुली थी,

खुद भी फूली-फूली थी।


सब सुंदरता लूली थी,

आशा फाँसी झूली थी।

विधना के ये खेल कड़े,

देख रहा था खड़े-खड़े।


तभी अचानक सधे हुये, 

दो बच्चों से लदे हुये।

चिक-चिक से कुछ थके हुये,

बाल वाल सब पक्के हुये।


एक अंकल जी प्रकट हुये,

दर्शन कितने विकट हुये।

बावन इंची (52") कमरा था,

इसी कली का भंवरा था।


बावन इंची (52") कमरा था,

इसी कली का भंवरा था।



तुफानों ने पाला था,

मुझसे ज्यादा काला🌚 था।

मुझसे अधिक उदास😕 था वो,

केवल दशवी पास था वो।


रानी साथ मदारी के,

फूटे भाग्य बेचारी के।

घूरे मेला लूट गये,

तितली के पर टूट गये।


रचा स्वयंवर वीरो का,

मंडप मांडा जीरो का।

आमलेट तवा पर फैल गई,

किस ख़ुशत के गैल गई।


बिना मिले वापस आया,

कई दिनों तक पछताया।

अब भी अक्सर रातों में,

कुछ गहरे जज्बातो में।


पिछली यादें ढोता हूँ,

सब से छिपकर रोता😭 हूँ।

मुझमें क्या कम था ईश्वर,

किस्मत में गम था ईश्वर।


अब भी आशू😢 बहते हैं,

शायद!!! भाग्य इसी को कहते हैं।


शायद!!! भाग्य इसी को कहते हैं।

शायद!!! भाग्य इसी को कहते हैं।

 

सभार - सोशल मीडिया।

मंगलवार, 26 नवंबर 2024

क्या होगा???


तुम्हे हम भी सताने🤨 पर उतर आए तो क्या होगा,
तुम्हारा दिल❤️ दुखाने पर उतर आए तो क्या होगा।
हमें बदनाम🫨 करते फिर रहे हो अपनी महफिल में - २
अगर हम सच 💯 बताने पर उतर आए तो क्या होगा।

कलुआ के माई।👩🏻‍🍼


          .....जानती हो, कभी-कभी हमार मन करेला कि तोहरा खातिर एगो चिट्ठी ✉️ लिखी✍🏻, लेकिन फिर सोचीला कि साला आपन दर्द उह पेपर पर कैसे लिख पाईब हम।😢

लेकिन खैर!!! छोड़s आज आपन मन के बाद कह ही देतs बानी।


सुनs हो कलुआ के माई,

        जब से हम यहां आए हैं ना हमारा मन बिल्कुल नहीं लग रहा है इह साला शहर ही बड़ा अजीब है कोई किसी से बतियाता ही नहीं है, ससुर के नाती सब के सब दिन भर मोबाइल में घुसलs रहता हैं। काले एगो सवारी बैठा था रिक्शा पे, शायद उ दोनो पति-पत्नी थे, दुनो पूरे रास्ते कुछो ना बात किए पूरे रास्ते बस मोबाइल में देख रहे थे, जानती हो कलुआ की माई, इह शहरी दुनिया बहुते छोटी है जी, हम दिन भर में कम से कम रोज नए 50-100 आदमी से मिलते हैं कोई आदमी के चेहरे पर खुशी नजर नहीं आती है कोई फोन पर अपने मालिक से बतिया रहा होता है तो कोई अपने मेहरारू से कोई अपने दोस्त से बतिया रहा होता है तो कोई अपने काम से लेकिन इन सारे आदमियों में एक चीज सामान्य होती है यह सारे आदमी रो😢 रहे होते हैं।

         तुमको याद है जी, जब हम तुमको पहला बार खिचड़ी के मेला में घुमाने के लिए छपरा ले गए थे उ हम तुमको पैदल लेकर आए थे याद है ना तुमको, पूरा चार मिल का रास्ता था उह, और उह ससुरा चार मिल के रास्ता में हम लोग घंटों बात किए थे,उसी रास्ता में तुम हमको बताई थी कि तुम्हारी सहेली कलावती है ना, (अरे उहे कलावती जिसका शादी त्रिलोकी शाह के नाती से हुआ था जिसकी बनारस में चाय की दुकान है वहीं वाला), उहो खिचड़ी के मेला में छपरा आने वाली है, और तुम हमको एक बात और बताई थी तुमको अनेरिया (अंधेरा) से बहुत डर लगता है, और साला हम तुमको पूरा रास्ता भूत-भूत👻 कहकर चिढ़ाते हुए आ रहे थे तुम गोलगप्पा भी खाई थी याद है ना!!! तुमको साला हम लोग कितना बतियाते हुए गए थे लेकिन जानती हो यहां के लोग बतियाते ही नहीं है।


      इहा साला सब दौड़ रहे है जी, पता नहीं काहे दौड़ रहे हैं लेकिन सब दौड़ रहे हैं काल एगो 15 - 16 साल के लाइका और लाईकी रिक्शा पर आकर बैठे थे, बड़ा गंदा गंदा हरकत कर रहे थे सब, कुछो शर्म लाज नहीं है यहां के लोगों को, पता नहीं इनके माय बाप इनको का सिखाते हैं लेकिन हम इन सब बातों पर ध्यान नहीं देते हैं जानती हो उस सोनहन का रमेश पासवान का लाइका भी यही हमारे साथ ही रिक्शा चलता है कल ही उह एगो मोआबाइल खरीदा है उस पर ना अपनी मेहरारू से बतिया रहा था जी एकदम सामने देख रही थी वह हम उससे कहे हैं वो इतवार को तुमसे बात कराएगा हमारी, इतवार को हम फोनवा से ना वीडियो करेंगे।


ठीक है ना!!! 


       अच्छे से रहना ख्याल रखना अपना हम पैसा दिया करेंगे हर महीना, सुनो ना दुपहरिया हो रहा है थोड़ी देर सो लेते हैं अभी सवारी नहीं मिलती है बाद में विश्वविद्यालय तरफ जाना है, वहां से सवारी बहुत मिलती हैं।

ठीक है अब हम चलतें है।


तोहार 

रामखेलावन✍🏻


साभार - सोशल मीडिया

बुधवार, 13 नवंबर 2024

अगर दुनिया में होता न मुहब्बत का फलसफ़ा...


अगर दुनिया🌎 में होता न मुहब्बत❤️ का फलसफ़ा। 

सच मानिए होता न किसी से कोई खफ़ा😞 ।।


हमें इतना कहां है शऊर जानते हो तुम। 

हमको नहीं पता है क्या होती है ये वफ़ा ।।


नुख्सा हर एक नाकाम है तुमको भुलाने का। 

आजमा के खुद को देखा है हमने कई दफ़ा ।।


हमसे कोई न कीजिए उम्मीद वफ़ा की। 

दुश्मनों के लिए हमें करना है सिर्फ जफ़ा ।।


हमने दुनिया में दिल क्या लगा लिया। 

न जाने कितनी हम पे लगा दी गई दफ़ा ।।



साभार - सोशल मीडिया

कविता में प्रयुक्त कुछ उर्दू के शब्दों के अर्थ -

1. फ़लसफ़ा (पुल्लिंग) - ज्ञान, विद्या, दर्शन शास्त्र, तर्क विद्या, Philosophy.
2. शऊर (पुल्लिंग) - तरीक़ा, ढंग, सामान्य योग्यता, Mannerliness
3. वफ़ा (स्त्रीलिंग) - वचन पालना, निष्ठा, Manners.
4. जफ़ा (स्त्रीलिंग) - अत्याचार, ज़ुल्म, अन्याय पूर्ण कार्य।

मंगलवार, 12 नवंबर 2024

खोइंछा (Khoencha)

खोइंछा

               हमनी के बिहार में एगो विधि बा जवन महिला सशक्तिकरण के दिखावे ला या कह सक तानी की बेजोड़ नमूना बा। जब कवनो शादी भईल मेहरारू चाहे घर (मायके) से ससुराल जाली, चाहे ससुराल से घरे (मायके) जाली तब उनका के खोइंछा दिआला। खोइंचा के यदि परिभाषित कईल जाव तs कह सकत बानी की - चाउर के कुछ दाना, हरिहर दुभी के पत्तई, कुछ पईसा अवरी हल्दी। अब ई सब काहे दिहल जाला ऐकर एगो ना!!! और कई को कारण बतावल जाला। एगो तs ई कारण बा  - जब कभी बेटी चाहे बहू घर से बाहर जाली तब उनका लागी की जवन उनका हाथ में ई जवन गठरी बा उ ओकर परिवार हां औरी उनके साथे जाता अउर ओकरा परिवार के कमी ना खली। ऐहीसे का होई कि उनका लागी की हमार परिवार हमरे साथे बा औरी उनका कबो परिवार के कमी ना महसूस होई।

       दोसर कारण ई बतावल जाला की, ई जेतना चीज़ जैसे  - चाउर के कुछ दाना, हरिहर दुभी, कुछ पईसा अवरी हल्दी इनका के दिआइल बा सबके कवनो ना कवनो मतलब बोला। चावल जवना के ई मतलब होखेला की बेटी के घर में कबो भी अन्न के कमी न होखे। पईसा ई बतावेला की बेटी के घर में कबो लक्ष्मी के कमी न होखे। जवन दुभ के पतई होखेला ऊ संजीवनी के दर्शावेला। संजीवनी यानी की अमृत। अवर जवन ऊ गांठ होखेला जेईमे ऊ सब के बांधल जाला ऊ ई दर्शावेला की जवन ई बेटी होली ऊ इन सब के आपस में जोड़ के रखेली जेकरा से पूरा घर आच्छा से चलेला। अवरी जवन ई काम बातें ऊ बस घर के बहू या बेटी ही कर सकs तारीs ई पूरा ब्यौरा हां, हमनी के यहां खोइंचा के.....