मंगलवार, 5 नवंबर 2019

गोधूलि बेला


इस कविता का निर्माण मैंने पहले दूसरी  तस्वीर पर की थी जो कि इस post में संलग्न है।  लेकिन इस photograph को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि यह कविता बस इसी  के लिए  ही निर्मित हुई हो।  कविता का  शीर्षक है:- गोधूलि बेला के आगोश में खोया..........


कविता में प्रयुक्त कुछ शब्दों का अर्थ मैं यहां  बता देता हूं।

गोधूलि बेला:-  शाम का समय

सुरलोक:- स्वर्ग

वसुंधरा:- धरती,पृथ्वी

अगम:-  पेड़, वृक्ष

दरिया:- नदी

वर्ण:- रंग

शबीह:- यह एक उर्दू शब्द है इसका अर्थ होता है, व्यक्ति चित्र (Portrait)।

















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