मन की बात
मैं हर एक कार्य करु तो तुम्हे लगता है,
कुछ तो कमी है यार।
मैं एक कार्य से यदि इनकार कर दूँ,
तब तुम कहती हो, तुमसे बुरा नही है कोई यहाँ ।।
रस्सी को बार-बार ऐंठने से,
पाती है वो मजबुती।
लेकिन जब मजबुत को ही ऐंठा जाये,
तब उस में आने लगती हैं दरार ॥
मै हर एक कार्य करु.............
माना की मैं तुलिका के साथ रहता हुँ,
वर्णों से खेलता हूँ।
फिर भी कलमकारी में कच्चा हुँ मेरी बात मान,
मुझे मेरे अस्तित्व के साथ रहने दो डालो ना उसमे विध्न हजार ॥
मै हर एक कार्य करू.............
मुझे तुम्हारे परिवार से शिकायत नही,
क्योकी मै तुम्हारी मानसिकता को पहचान गया हूँ इस बार।
तुम लाख प्रयत्न भी कर लो,
कलाकार के कार्य को नहीं बदल सकते हो आप।।
मै हर एक कार्य करु.............
तुमको स्वय् की समझ नही,
मुझे तो ऐसा महसुस हो गया इस बार।
काश तुम B.Ed., D.El.Ed. का पाठ्यक्रम देख लेती,
जिसे पढ़ता-पढ़ाता हूँ मै दिन-रात ॥
मै हर एक कार्य करू.............
जब भी मै वर्ग-संचालन करता हुँ,
भुल जाता हूँ तुम्हारे सारे कटाक्ष।
शायद मेरे गैर मौजूदगी में,
तुमने जो मेरे उपर लगा रखे हैं ये शब्दों के भंडार ॥
मै हर एक कार्य करू............
इस का निवारण कैसे होगा?
इस का उत्तर नही है मेरे पास।
शायद इसीलिए कविता लिख लेता हूँ,
ताकि मेरे मन के बोझ का हो जाये कुछ निदान॥
मैं हर एक कार्य करु तो तुम्हे लगता है,
कुछ तो कमी है यार।
मैं एक कार्य से यदि इनकार कर दूँ,
तब तुम कहती हो, तुमसे बुरा नही है कोई यहाँ ।।
-विश्वजीत कुमार✍️
Mind Matter
If I do everything, you think,
Something is missing man.
If I refuse a task,
Then you say, no one is worse than you here.
By repeatedly twisting the rope,
Gets that strength.
But when only the strong are pulled,
Then cracks start appearing in it.
If I do everything, you think.............
Suppose I live with Tulika (Brush),
I play with Color.
Still I am raw in penmanship, listen to me
Let me live with my existence, don't put thousands of obstacles in it.
If I do everything, you think............
I don't have any complaints against your family.
Because I have recognized your mentality this time.
no matter how hard you try,
You cannot change the work of the artist.
If I do everything, you think.............
You don't understand yourself
I felt like this, This time.
I wish you B.Ed., D.El.Ed. would have looked at the course of
To whom I read and teach day and night.
If I do everything, you think............
Whenever I do square operations,
I forget all your sarcasm.
maybe in my absence,
The storehouse of words that you have put on me.
If I do everything, you think............
How will this be resolved?
I don't have the answer to this.
Maybe that's why I write poetry,
So that some solution can be given to the burden of my mind.
If I do everything, you think,
Something is missing man.
If I refuse a task,
Then you say, no one is worse than you here.
-Bishwajeet Kumar✍️