सपने सच होते हैं एवं उन्हें देखना भी चाहिए। यह पंक्तियां जिसने भी कही है बहुत ही सार्थक कही है। विगत वर्ष प्रसार भारती, आकाशवाणी/दूरदर्शन केंद्र, गोरखपुर के द्वारा जब मुझे लोक-कला विषय पर विचार-विमर्श के लिए बुलाया गया तो कुछ यही विचार मेरे मन में भी उत्पन्न हो रहे थे।
बात तब की है जब मैं 4 या 5 साल का रहा होगा उस समय मेरे घर पर एक Black & White T.V. था। मैं अक्सर अपने घर पर कहता था कि जब यह टी.वी. खुलेगा उस दिन मैं विद्यालय नहीं जाऊंगा। सभी लोगो को यह आश्चर्य रहता था कि टी.वी. खुलेगा तो विद्यालय नहीं जायेगा, इसका क्या अर्थ है?
तब मैं बड़े मासूमियत के साथ कहता था कि जितने भी व्यक्ति, जानवर एवं कलाकार इस T.V. में दिखाई देते हैं उनको मैं साक्षात देखना चाहता हूं यानी कि वह सब टी.वी. के अंदर ही बैठे होंगे जब खुलेगा तब मैं उन्हें देख लूंगा। मेरे इस सवाल पर सभी लोग हँस देते लेकिन मैं उनकी हंसी का मतलब समझ नहीं पाता था।
एक दिन मेरी इस इच्छा की पूर्ति भी हुई और टी.वी. में कुछ खराबी आ गई। जैसे कि मैंने सोचा था कि विद्यालय नहीं जाऊंगा, विद्यालय नहीं गया और दिन भर टी.वी. के सामने बैठकर बड़े ही गौर से सभी चीजों को देखते रहा। मिस्त्री ने टी.वी. खोला तो अंदर वह चीजें नहीं थी जिसकी मैंने परिकल्पना की थी। फिर से सभी-लोग हँसने लगें और बोले- बताओ-बताओ तुम्हारे सभी कलाकार, जानवर एवं व्यक्ति कहां गए? जिसके लिए तुमने आज विद्यालय भी नहीं गया।
उस दिन बिना किसी को बताये मैंने एक सपना देखा कि भले ही मैं आज उन सभी कलाकारों से नही मिल पाया लेकिन एक दिन जरूर उन सभी T.V. के कलाकारों से मुलाकात जरुर होगी और वह दिन आया भी। जब मुझे उनसभी से मिलने के साथ-साथ वार्तालाप एवं T.V. पर आने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उस पल को मैंने कैमरे में कैद किया था, जिसे आप सभी के बीच साझा कर रहा हूं।
शायद गांव के बीच बैठा हुआ कोई लड़का यदि सपना देख रहा है तो उसके भी सपने जरूर पूरे होंगे।
प्रसार भारती, आकाशवाणी/ दूरदर्शन केंद्र गोरखपुर के परिसर में मेरा चयन भारत सरकार के कार्यक्रम एक भारत श्रेष्ठ भारत विषय पर व्याख्यान देने के लिए किया गया था। जिसका आयोजन दिनांक 18/02/2020 को संपन्न हुआ और इसका प्रसारण 20/02/2020 को शाम में 6:00 बजे से दूरदर्शन पर किया जाएगा।
गोरखपुर दूरदर्शन केंद्र के परिकल्पना एवं निर्माणकर्ता रत्नेश कुमार मिश्र ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत सिवान जिले के ओजस्वी युवा लोक कला के शोधार्थी विश्वजीत कुमार का प्रदर्शन बहुत ही उन्नत रहा। उन्होंने संस्था को एक मधुबनी चित्र भी कार्यक्रम के उपरांत प्रदान किए। साक्षात्कार का कार्य दिवाकर द्विवेदी एवं कैमरा सहयोग रंजीत सिंह का रहा।